अभिव्यक्ति अहसासों की .....

कुछ ख्वाब भर के आँखों की डिबिया में बंद किये बैठी हूँ मै, जाने कब ये पलकों के परदे खुल जाए ..और ये ख्वाब दुनिया को दिख जाएँ.......

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

khwaab sunahre


प्रस्तुतकर्ता Dr. Preeti Dixit पर 1:13 pm
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Dr. Preeti Dixit
..

1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

प्रशंसनीय रचना - बधाई

18 मार्च 2013 को 8:01 am बजे

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