कुछ ख्वाब भर के आँखों की डिबिया में बंद किये बैठी हूँ मै, जाने कब ये पलकों के परदे खुल जाए ..और ये ख्वाब दुनिया को दिख जाएँ.......
एक अल्हड मासूम सी लड़की के दिल के पिटारे से निकल निकलकर किसी से मिलने को बेताब होती जा रही है यह ख्वाइशें उफ़ ये कैसी शैतान है ये ख्वाइशें...अजी ज़रा संभालिये इन ख्वाइशों को कहीं भाग न जाएँ इधर उधर | बहुत बढ़िया लेखनी | सुन्दर |
बहुत ही प्रभावशाली जवाब ...मेरी कविता को और पंकितियाँ देने के लिए आभार ह्रदय से आपका..
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2 टिप्पणियां:
एक अल्हड मासूम सी लड़की
के दिल के पिटारे से
निकल निकलकर
किसी से मिलने को
बेताब होती जा रही है
यह ख्वाइशें उफ़ ये
कैसी शैतान है ये ख्वाइशें...
अजी ज़रा संभालिये इन ख्वाइशों को कहीं भाग न जाएँ इधर उधर | बहुत बढ़िया लेखनी | सुन्दर |
बहुत ही प्रभावशाली जवाब ...मेरी कविता को और पंकितियाँ देने के लिए आभार ह्रदय से आपका..
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