कुछ ख्वाब भर के आँखों की डिबिया में बंद किये बैठी हूँ मै, जाने कब ये पलकों के परदे खुल जाए ..और ये ख्वाब दुनिया को दिख जाएँ.......
वाह प्रीती जी...सुन्दर भाव...सुन्दर अभिव्यक्ति....अनु
धन्यवाद....आपका बहुत बहुत...इस प्रशंशा के लिए अनु जी ...
बहुत ही सुन्दर रचना | मन भाव विभोर हो उठा पढ़कर | आभार तमाशा-ए-ज़िन्दगी
बहुत बहुत धन्यवाद आपका..
अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगींआपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |
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5 टिप्पणियां:
वाह प्रीती जी...
सुन्दर भाव...
सुन्दर अभिव्यक्ति....
अनु
धन्यवाद....आपका बहुत बहुत...इस प्रशंशा के लिए अनु जी ...
बहुत ही सुन्दर रचना | मन भाव विभोर हो उठा पढ़कर | आभार
तमाशा-ए-ज़िन्दगी
बहुत बहुत धन्यवाद आपका..
अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं
आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |
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