अभिव्यक्ति अहसासों की .....

कुछ ख्वाब भर के आँखों की डिबिया में बंद किये बैठी हूँ मै, जाने कब ये पलकों के परदे खुल जाए ..और ये ख्वाब दुनिया को दिख जाएँ.......

शनिवार, 1 अक्टूबर 2011


प्रस्तुतकर्ता Dr. Preeti Dixit पर 10:05 am
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Dr. Preeti Dixit
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