दिखते है ख्वाब तुम्हारी आंखों में
मेहनत से हाथ सने हुए हैं,
माथे पर सलवट बिछी हुई है
छालों से तलवे छिले हुए है |
मेहनत से हाथ सने हुए हैं,
माथे पर सलवट बिछी हुई है
छालों से तलवे छिले हुए है |
माना थके हुए से दिखते हो
पर अजेय रहे हालातों से
तुम धैर्यवान, तुम धर्मवीर भी
तुम निडर, निरंतर , कर्मवीर भी|
चलो झुका दो पर्वत को
और सुखा दो, वो नदी घमंडी
उठो अभी तुम, रुको नहीं तुम
दुनिया का अभिमान मिटा दो |
ये उम्मीद तुम्हारी अपनी हैं
ये ख्वाब तुम्हारे खुद के हैं
ये आखें बंद हुईं तो क्या
इनमे उड़ते तेरे सपने है|
दुनिया की नजर से ना परख स्वयं को
ये लोग बड़े ही जालिम है
ना इन्होने सपने देखे कभी
ना हुआ इन्हे कुछ हासिल है |
सब हासिल होगा तुझे भी एक दिन
तेरी मेहनत का इनाम यही है।
मायूस न होना बाधाओं से,
जीवन का तो आयाम यही है |
बढ़ता जा बस लक्ष्य की ओर
अभी विश्राम का सवाल नहीं है|
अम्बर भी धरा पर उतरेगा
काबिलियत का मुकाम वही है|
प्रीती
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