गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

काबिलियत का मुकाम

दिखते है ख्वाब तुम्हारी आंखों में 
मेहनत से हाथ सने हुए हैं,
माथे पर सलवट बिछी हुई है
छालों से तलवे छिले हुए है |

माना थके हुए से दिखते हो  
पर अजेय रहे हालातों से
तुम धैर्यवान, तुम धर्मवीर भी
तुम निडर, निरंतर , कर्मवीर भी|

चलो झुका दो पर्वत को 
और सुखा दो, वो नदी घमंडी 
उठो अभी तुम, रुको नहीं तुम
दुनिया का अभिमान मिटा दो |

ये उम्मीद तुम्हारी अपनी हैं 
ये ख्वाब तुम्हारे खुद के हैं
ये आखें बंद हुईं तो क्या 
इनमे उड़ते तेरे सपने है|

दुनिया की नजर से ना परख स्वयं को 
ये लोग बड़े ही जालिम है
ना इन्होने सपने देखे कभी 
ना हुआ इन्हे कुछ हासिल है |

सब हासिल होगा तुझे भी एक दिन 
तेरी मेहनत  का इनाम यही है।
मायूस न होना बाधाओं से,
जीवन का तो आयाम यही है | 

बढ़ता जा बस लक्ष्य की ओर 
अभी विश्राम का सवाल नहीं है| 
अम्बर भी धरा पर उतरेगा 
काबिलियत का मुकाम वही है|   

प्रीती 






कोई टिप्पणी नहीं: