हम भी वही, जीवन भी वही है,
पर उम्मीदों का त्योहार नया है।
रात वही , और नींद वही है,
पर ख्वाबों का आकाश नया है।
प्रीत वही, प्रीतम भी वही है,
पर मेरा ये एहसास नया है।
सर्द वही, कोहरा भी वही है,
पर ठिठुरन का अंदाज नया है।
दोस्त वही, और दुश्मन भी वही,
पर रिश्तों का संसार नया है।
रूप वही, श्रृंगार वही है,
जीवन में फिर साल नया है।
© प्रीती
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें