तूने ही कोशिशे की और
तुझसे ही ना संभाला गया
ये मर्दानगी का भूत क्यूँ
तुझसे ही निकाला ना गया
क्या यही है तुम्हारी मर्दानगी
की खुद पे ही काबू नहीं
रौंद डाला मासूम बचपन को
और तुमको शर्म भी नहीं
मै कहती हूँ जला डालो
खुद को तुम ही ज़िंदा
सारा समाज तुम्हारी
इस हरकत पर शर्मिंदा
पर तुम्हे कहा परवाह है किसी की
तुम्हे तो बस तबाही आती है
किसी मासूम की बर्बादी आती है|
कैसे मर्द हो तुम
नहीं तुम मर्द नहीं
तो तुम्हें क्या नाम दो
नहीं हिजड़ा कहके मै
हिजड़ो के नाम को
कलंकित नही करुंगी
वो मासूम जिदगियाँ
नही तबाह करते
इंसान कहलाने लायक
तो तुम बिलकुल भी नहीं
तो क्या तुम्हे जानवर कहूँ
नहीं जानवर भी इंसानों से बेहतर है
तो तुम्हे क्या नाम दू इसी पेशोपस में हूँ
नहीं तुम नाम देने के लायक नही हो
क्यु के नाम तो जीवन को देते है
और तुम जीवन नही हो मृत्यु हो
किसी और की नही स्वयं की मृत्यु
आदम और इंसानियत की मृत्यु
तो मै तुम्हे नाम देती हु मृत्यु........|
प्रीती
14 टिप्पणियां:
Well nice & true lines
Samaj me chetna lane ke liye ye lines niv ka pathar bane aisi asha ke sath
बहुत सही कहा प्रीती । मृत्यु भी मोक्ष का रास्ता है वो भी इन दरिंदो को न नसीब हो ये
बहुत सही कहा प्रीती । मृत्यु भी मोक्ष का रास्ता है वो भी इन दरिंदो को न नसीब हो ये
Good
Good
आज की ब्लॉग बुलेटिन विश्व तम्बाकू निषेध दिवस.... ब्लॉग बुलेटिन में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ...
सादर आभार !
सबसे पहली बात तो ये कि आपके ब्लॉग का कलेवर निहायत ही खूबसूरत और आकर्षक है । सोचने को विवश करती पंक्तियां । अनुसरक बन रहा हूं आपके ब्लॉग का ताकि पोस्ट सीधा डैशबोर्ड पर आए । बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको
धन्यवाद एवं आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए ||
सादर आभार ||
बड़ा दिल दुखता है ये सब देखकर और क्रोध आता है इन अमानवीय लोगो पर ..
बहुत ही सुंदर और सच्ची कविता। सचमुच ऐसों को तो म़त्यु कहना ही उचित है।
मृत्यु शरीर की होती है आत्मा की नहीं, आत्मा का स्थान परिवर्तन होता है।
शैतान आत्मा जिस भी शरीर में प्रवेश करेगी निःसंकोच बुराई ही ले जाएगी.. अच्छी आत्मा का मिलन इश्वर से होता है और वो परमात्मा हो जाती है।
ऐसे व्यक्ति को शैतान का उद्बोधन ही उचित होगा, जो ऐसे निकृष्ट कार्य करते हैं उसमें पूरी पूरी हिस्सेदारी अंतर्मन की होती है और हम सिर्फ उस शरीर को कोसते हैं।
इती
बहुत ही सुंदर कविता।
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