मैंने ख़ामोशी थोड़ी संजो रखी है ,
अल्फाजो से जी भर जाये
तो थोड़ी मुझसे ले जाना ...
एक अदद तन्हाई भी थोड़ी ,बिखरी है उस कोने में
खुशियाँ तुमको रास ना आये
तो थोड़ी मुझसे ले जाना .....
कुछ मोती कि लड़िया भी है उस माटी के मटके में
जब कभी आखें भर आये
तो थोड़ी मुझसे ले जाना ......
रात हुई और तो जले बुझे है कुछ ख्वाब के जुगनूं आखों में
जब नींद तुम्हे ना आने पाए
तो थोड़े मुझसे ले जाना ....
इक गोद का तकियाँ फटा पुराना कब से पड़ा हुआ यहाँ पर
कभी तुम्हारा दिल भर आये
तो ये तकियाँ मुझसे ले जाना ....
हां इक शर्त भी लेकिन सुनते जाओ ,खैरात नहीं है बाटी मैंने
ले जाना तुम ये सब कुछ मुझसे
बस अपने दो पल दे जाना ......
बस अपने दो पल दे जाना ......प्रीती
2 टिप्पणियां:
sundar ....
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
सुंदर रचना के लिए आपको बधाई
संजय कुमार
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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