अश्कों से भीगी वो चांदनी रात भर भिगोती रहीं
जागती रही कोई दो आँखें और ये दुनिया सोती रही !!
हाथों में हाथों को लेकर जब वो बैठे थे यही .
लब भी ना हिले थे और ना जाने कितनी बातें होती रही !!
अपनी अलग दुनिया, अपना अलग आसियाना
तुझे देख कर खुद बखुद पलकों का झुक जाना !!
तेरे काँधे पे रख के सर कितने ही ख्वाब पिरोती रही
पर क्या पता था कि शीशे से ये ख्वाब हमेशा टूट जाते है
अक्सर बेगाने अपने बनकर तुमसे सब कुछ लूट जाते है !!
वो रातें जो तुम्हे बिना बात के हँसना सिखा देती है
वो खवाब जो पलकों पे शामियाना बना लेती है!!
एक शख्स के चले भर जाने से कैसे रूठ जातें है
हम हसतें हसतें रोते है, और रोते रोते मुस्कुराते है !!
और वो चांदनी इन ख्यालो से ऒस की बूंदें संजोती रही
जागती रही कोई दो आँखें और ये दुनिया सोती रही !!
प्रीती
जागती रही कोई दो आँखें और ये दुनिया सोती रही !!
हाथों में हाथों को लेकर जब वो बैठे थे यही .
लब भी ना हिले थे और ना जाने कितनी बातें होती रही !!
अपनी अलग दुनिया, अपना अलग आसियाना
तुझे देख कर खुद बखुद पलकों का झुक जाना !!
तेरे काँधे पे रख के सर कितने ही ख्वाब पिरोती रही
पर क्या पता था कि शीशे से ये ख्वाब हमेशा टूट जाते है
अक्सर बेगाने अपने बनकर तुमसे सब कुछ लूट जाते है !!
वो रातें जो तुम्हे बिना बात के हँसना सिखा देती है
वो खवाब जो पलकों पे शामियाना बना लेती है!!
एक शख्स के चले भर जाने से कैसे रूठ जातें है
हम हसतें हसतें रोते है, और रोते रोते मुस्कुराते है !!
और वो चांदनी इन ख्यालो से ऒस की बूंदें संजोती रही
जागती रही कोई दो आँखें और ये दुनिया सोती रही !!
प्रीती