अभिव्यक्ति अहसासों की .....

कुछ ख्वाब भर के आँखों की डिबिया में बंद किये बैठी हूँ मै, जाने कब ये पलकों के परदे खुल जाए ..और ये ख्वाब दुनिया को दिख जाएँ.......

बुधवार, 5 दिसंबर 2012

मैंने छूकर जो देखा आइना


प्रस्तुतकर्ता Dr. Preeti Dixit पर 10:06 am 5 टिप्‍पणियां:
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Dr. Preeti Dixit
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