कुछ ख्वाब भर के आँखों की डिबिया में बंद किये बैठी हूँ मै, जाने कब ये पलकों के परदे खुल जाए ..और ये ख्वाब दुनिया को दिख जाएँ.......
सोमवार, 31 अगस्त 2015
टूटे है ख्वाब......
परदे गिरा दिए मैंने इन झरोखो के, ये सूरज के किरने जो कभी
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रविवार, 30 अगस्त 2015
WO EK LADKI .....
यूं हाथों से झटका था उसने मिटटी को
मानो किस्मत की लकीरे फेक दी हो जमीन पर
कोई शर्त मनो लगा बैठी थी खुद से उसने कि
इश्क़ के गर्त में सब कुछ हारकर ही जीतेगी
स्याह रातों का काजल भरती है आँखों में
और आसुंओ से धुलती है चेहरा हर रात
ख़ामोशी उसके खनखनाते शब्दों में ,
और हसी में उसकी, उसके बिखरे हुए ख्वाब।
कुचलकर खुद को ही बस रोज चल रही
अपनी ही लगायी हुई आग हर रोज जल रही
तलाशती है खुद की ही परछाई साथ पाने को
हर रात आंखोंं में उसकी चीखे पिघल रही ।
एक जहर सा पीकर जिए जा रही है
जिंदगी से साँसों का वादा निभा रही
कोई सर पर प्यार से हाथ ना रख दे
इस ख्याल से भी रूह उसकी घबरा रही ।
मुझे परवाह नहीं उसकी और ज़माने की
मेरी जिंदगी तोह मजे में जा रही
उसका काम वो जाने और उसकी यादें
हमे तोह अब गहरी नींद आ रही :)
मानो किस्मत की लकीरे फेक दी हो जमीन पर
कोई शर्त मनो लगा बैठी थी खुद से उसने कि
इश्क़ के गर्त में सब कुछ हारकर ही जीतेगी
स्याह रातों का काजल भरती है आँखों में
और आसुंओ से धुलती है चेहरा हर रात
ख़ामोशी उसके खनखनाते शब्दों में ,
और हसी में उसकी, उसके बिखरे हुए ख्वाब।
कुचलकर खुद को ही बस रोज चल रही
अपनी ही लगायी हुई आग हर रोज जल रही
तलाशती है खुद की ही परछाई साथ पाने को
हर रात आंखोंं में उसकी चीखे पिघल रही ।
एक जहर सा पीकर जिए जा रही है
जिंदगी से साँसों का वादा निभा रही
कोई सर पर प्यार से हाथ ना रख दे
इस ख्याल से भी रूह उसकी घबरा रही ।
मुझे परवाह नहीं उसकी और ज़माने की
मेरी जिंदगी तोह मजे में जा रही
उसका काम वो जाने और उसकी यादें
हमे तोह अब गहरी नींद आ रही :)
गुरुवार, 20 अगस्त 2015
बेटियाँ ...
कुछ ख्वाबों का श्रंगार करने दो
मुझे जिंदगी से प्यार करने दो ......
रखना नहीं है वास्ता बड़ी इन इमारतों से
कच्ची सड़क पर ही घर की मुझे तो पाँव रखने दो |
हाँ नहीं जाना मुझे किसी और का घर बसाने को
बाबुल का आँगन ही मुझे गुलजार करने दो|
मनमानी मुझे भी तो हजार बार करने दो |
बांधों नहीं अभी तुम रिवाजों के दामन मे
मुझे भी तो कदम दहलीजों के पार रखने दो |
दिखा दूँगी एक दिन मै भी इस दुनिया को
कम नहीं है बेटियाँ किसी से भी कभी
उन्हे भी बस हौसलों की उड़ान भरने दो |
प्रीती
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