गुरुवार, 20 अगस्त 2015

बेटियाँ ...

कुछ ख्वाबों का श्रंगार करने दो
मुझे जिंदगी से प्यार करने दो ......

रखना नहीं है वास्ता बड़ी इन इमारतों से 
कच्ची सड़क पर ही घर की मुझे तो पाँव रखने दो |

हाँ नहीं जाना मुझे किसी और  का घर बसाने  को 
बाबुल का आँगन ही  मुझे गुलजार करने दो|
मुर्दा सा नहीं है, इसकी भी ख्वाहिशे है बहुत 
मनमानी  मुझे भी तो हजार बार करने दो |

बांधों नहीं अभी तुम रिवाजों के दामन मे
मुझे भी तो कदम दहलीजों के पार रखने दो |

दिखा दूँगी एक दिन मै भी इस दुनिया को 
कम नहीं है बेटियाँ किसी से भी कभी 
उन्हे भी बस हौसलों की  उड़ान भरने दो |
प्रीती

3 टिप्‍पणियां:

Rajendra kumar ने कहा…

आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (21.08.2015) को "बेटियां होती हैं अनमोल"(चर्चा अंक-2074) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बेटियाँ अभी भी किसी से कम नहीं रहीं ... बस देखने वाले ही नहीं थे ...

रचना दीक्षित ने कहा…

सही कहा प्रीती जी बेटियाँ किसी से कम नहीं हैं.