रविवार, 23 जून 2013

मेरा ही मिजाज !!!


 जाने कौन हूँ मै,मुझे जाने किसकी तलाश है 


लगता है मेरे ही हाथो में मेरे ही मुकद्दर की लाश है .... 


मेरे अल्फाज है ,मेरी जुबां में मेरी ही बोलियाँ भी 

मेरा साथ नहीं देती जाने क्यूँ खफा मेरी ही आवाज है ....


मेरी ही तस्वीर कोरी सी, मेरे ही साज अधूरे से 

जैसा मेरा कल था जाने क्यूँ वैसा ही मेरा आज है ....


आइना देखकर तो पहचाना न गया वो शख्स

मुझे अजनबी सा लगता, मेरा ही हर अंदाज है ...


जहीर भी है कई, जामिन भी मेरे इसी शहर में 

इतने लोगों में फिर भी गम़गुस्सार मेरा ही मिजाज है ..

प्रीती....