रविवार, 23 जून 2013

मेरा ही मिजाज !!!


 जाने कौन हूँ मै,मुझे जाने किसकी तलाश है 


लगता है मेरे ही हाथो में मेरे ही मुकद्दर की लाश है .... 


मेरे अल्फाज है ,मेरी जुबां में मेरी ही बोलियाँ भी 

मेरा साथ नहीं देती जाने क्यूँ खफा मेरी ही आवाज है ....


मेरी ही तस्वीर कोरी सी, मेरे ही साज अधूरे से 

जैसा मेरा कल था जाने क्यूँ वैसा ही मेरा आज है ....


आइना देखकर तो पहचाना न गया वो शख्स

मुझे अजनबी सा लगता, मेरा ही हर अंदाज है ...


जहीर भी है कई, जामिन भी मेरे इसी शहर में 

इतने लोगों में फिर भी गम़गुस्सार मेरा ही मिजाज है ..

प्रीती....


10 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन काश हर घर मे एक सैनिक हो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Dr. Preeti Dixit ने कहा…

धन्यवाद आपका बहुत बहुत आभार रचना को इतना सम्मान देने के लिए !!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब .... अच्छे शेर हैं गज़ल के ...

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह ... बेहद लाजवाब रचना

Unknown ने कहा…

nice composition.... a good song can be develop with this lyrics and a soft-silent tune...

Dr. Preeti Dixit ने कहा…

धन्यवाद आपका

Dr. Preeti Dixit ने कहा…

thanks a lot

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत सुन्दर |

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत अच्छी ग़ज़ल....

दाद कबूल करें!!
अनु

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....