शनिवार, 12 जनवरी 2013

ख्वाहिशें ......



2 टिप्‍पणियां:

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

एक अल्हड मासूम सी लड़की
के दिल के पिटारे से
निकल निकलकर
किसी से मिलने को
बेताब होती जा रही है
यह ख्वाइशें उफ़ ये
कैसी शैतान है ये ख्वाइशें...

अजी ज़रा संभालिये इन ख्वाइशों को कहीं भाग न जाएँ इधर उधर | बहुत बढ़िया लेखनी | सुन्दर |

Dr. Preeti Dixit ने कहा…

बहुत ही प्रभावशाली जवाब ...मेरी कविता को और पंकितियाँ देने के लिए आभार ह्रदय से आपका..